यदि आप वास्तव में अपना जीवन महकती हुई बगिया के
समान
बनाना
चाहते हैं, यदि आप चाहते हैं कि लोग आपकी प्रशंसा करने में कंजूसी न बरतें, आपको
दिल खोलकर प्यार व सम्मान मिले, लोग आपको अपना आदर्श मानें, आपसे सलाह लें, आपका
अनुकरण करें, आपकी पीठ पीछे भी आपकी सराहना करें तो आप
निश्चय ही ऐसा करें-
1-अपनी सोच को विस्तार दें। लोगों में अच्छाई
ढूँढें,कमियाँ नहीं।
2-घमंड
लेशमात्र भी न करें। अपने भीतर गर्व का अनुभव करें तथा
हर कठिन
परिस्थिति में अपने व्यक्तित्व की गरिमा बनाए रखें।
3-उदार
हृदय बनें ।अपने परिजनों, सहयोगियों तथा रिश्तेदारों की
सफलता
पर दिल खोलकर प्रशंसा करें।
4-यह
हमेशा याद रखें कि आप आम लोगों जैसे नहीं। अपनी अलग पहचान बनाने हेतु आपको श्रम
करना होगा। आरंभ में आपको
लोगों से वैसा व्यवहार नहीं मिलेगा जैसा आप उनके साथ करेंगे क्योंकि लोगों को उसकी आदत ही
नहीं होती। आपको ही उनके आगे चलकर राह दिखानी होगी।अतः शुरू में आपको धैर्य से काम
लेना होगा।
5-अपने भीतर छिपी ईर्ष्या, द्वेष जैसी
दुर्भावनाओं का स्वयं ही
गला
घोंट दें क्योंकि वे आपकी तरक्की के मार्ग में सबसे बड़ी
रुकावट है। जब ऐसे बुरे भाव उत्पन्न हों, उस
स्थान से हट जाएँ व कोई अच्छी पुस्तक पढ़ें या कोई अच्छा कार्य करें
जिससे आपका ध्यान सन्मार्ग की ओर जाए।
6-जब भी भय की भावना का उदय हो, किसी एकांत स्थल
पर
जाएँ, खुद से प्रश्न करें व अपने भीतर ईश्वरत्व
की भावना का
अनुभव करें। यकीन कीजिए कि आपको एकदम सही
उत्तर
मिलेगा और आपका भय न जाने कहाँ गायब हो चुका
होगा।
7-दूसरों
के कार्यों, सफलताओं व उन्नति पर उनकी तारीफ करें,
उन्हें बधाई दें। ये न सोचें कि मेरे द्वारा की
गई प्रशंसा से
इसके आगे बढ़ने का मार्ग और प्रशस्त होगा। पहल
आपको
करनी होगी, धीरे-धीरे वह व्यक्ति भी आपका कायल
हो जाएगा।
इस प्रकार उपर्युक्त बातों को अपने जीवन में
धारण करने से आपका जीवन महक उठेगा ठीक वैसे ही जैसे फूलों की
बगिया। लेकिन इसमें कुछ वक्त तो ज़रूर लगेगा। जैसे
बगिया में फूल खिलाने के लिए माली को पहले क्यारी बनाकर उसे
तैयार करके उसमें बीजारोपण करके या फूलों की पौध लगाकर कुछ
समय तक उसकी देखभाल व रख-रखाव करना पड़ता है फिर कहीं जाकर वे पौधे
पुष्पित होते हैं व सारे गुलशन को महकाते हैं। उसी प्रकार आपको भी
माली के समान अपने प्रयासों को जारी रखना होगा, आपको
लोगों से वैसा प्रत्युत्तर आरंभ में बिल्कुल नहीं मिलेगा क्योंकि आम लोगों को भी
आपकी सोच को अपनाने के लिए कुछ समय तो
लगेगा ही और इसमें उनका कोई कसूर नहीं है। अतः आपको धैर्य का परिचय देते हुए खुद
को और ऊँचाइयों तक ले जाना होगा। इस हेतु यदि मैं आपको लेशमात्र भी सहयोग दे सकी तो निश्चय ही मैं स्वयं को धन्य मानूँगी।
एक नई आशा के साथ फ़िर मिलेंगे..........
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