Sunday, 6 March 2016

सब्र का मीठा फल

जिस प्रकार सहज रूप से पूरा पका हुआ फल ही मीठा होता है, उसी प्रकार धैर्यवान शांत व्यक्ति ही गुणों की खान होता है। जिस प्रकार कच्चा फल
कड़वा होता है, उसी प्रकार छोटी-छोटी बात पर तुनक जाने वाले व्यक्ति
का स्वभाव भी कटु होता है। जिस प्रकार सड़ा हुआ फल दुर्गंध पैदा करने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है, उसी प्रकार अत्यंत क्रोधी स्वभाव का मनुष्य बार-बार गुस्सा होकर अपने शरीर के तापमान को बढ़ाकर शारीरिक व मानसिक – दोनों रूप से स्वयं को रुग्ण बना लेता है और उसके परिवेश पर भी उसका दुष्प्रभाव पड़ता है। इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि धैर्यवान मनुष्यों के कारण ही धरती का अस्तित्व कायम है,समाज
उन्नति के पथ पर अग्रसर है। चाहे प्रभु श्रीराम हों या हज़रत मुहम्मद, गुरु गोबिंद सिंह हों या ईसा मसीह – सभी के जीवन में प्रतिकूल
परिस्थितियाँ आईं किंतु इन्होंने धैर्य, सहनशीलता व दृढ़ता का परिचय देकर
मानवता की स्थापना की और उदार मूल्यों की प्रतिष्ठा की।
    हर व्यक्ति के जीवन में अनुकूल व प्रतिकूल, दोनों ही प्रकार की स्थितियाँ आती हैं । जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में धैर्य खो देता है,
उसका मस्तिष्क इधर-उधर की व्यर्थ की बातों में ही अटक कर रह जाता है
और उसके जीवन का उद्देश्य खो जाता है । इसके विपरीत जो मनुष्य प्रतिकूल परिस्थितियों में भी धैर्य का दामन नहीं छोड़ता व अपने लक्ष्य की
ओर ही संधान किए रहता है, वह उसे अवश्य प्राप्त करता है और उसका जीवन सार्थक हो जाता है । इसलिए सही ही कहा गया है कि सब्र का फल
मीठा होता है ।
एक नई आशा के साथ फ़िर मिलेंगे..........


No comments:

Post a Comment