अक्सर देखा गया है
कि कुछ लोग हीन भावना के शिकार हो जाते हैं । ऐसा तब होता है जब उनके किसी साथी के
सर्वाधिक अंक आ जाते हैं या उनके साथी की पदोन्नति हो जाती है , तो लोग हारे हुए व्यक्ति
के समान यह कहते हैं कि अरे ...... वह तो बहुत होशियार है, मैं उसकी तरह कहाँ ?
मुझे उसकी तरह सफलता नहीं मिल सकती । मैं चाहूँ तब भी मैं उसकी तरह सफल नहीं हो
सकता ।
इस बात पर उन लोगों
को मैं यह कहना चाहती हूँ कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि आप उससे कम हैं । क्या
आपको मालूम है कि आप ऐसी नकारात्मक बातें सोचकर या कहकर अपने मस्तिष्क को जाने-अनजाने
गलत संकेत दे रहे हैं और मस्तिष्क ही आपकी बैटरी है । आप खुद ही अपनी बैटरी को
गलत चार्ज न करें । ये आप जानते ही होंगे कि गलत चार्ज से विस्फोट ही होगा । यदि
आप एक विजेता की तरह सोचेंगे तो आपका मस्तिष्क आपको विजय दिलाएगा किंतु यदि आप
निराश-हताश व्यक्ति की तरह सोचेंगे तो निराशा ही हाथ लगेगी ।
इससे बचने का उपाय
यह है कि जब ऐसी स्थिति आए तो तुरंत अपने विचारों में परिवर्तन करें, संभव हो तो
बात का रुख मोड़ दें या उस स्थान से उठकर चले जाएँ । य़दि आप सचमुच सफलता के शिखर
पर पहुँचना चाहते हैं तो आपको अपने दिमाग को हमेशा अच्छे विचारों से पोषित करना
होगा तथा सकारात्मक होना होगा ।
ऐसा कीजिए और फिर देखिए
कमाल।
एक नई आशा के साथ
फिर मिलेंगे..........
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