Sunday, 17 April 2016

संघर्ष ही सफलता की आधारशिला है...

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख आते हैं। जीवन में अनेक अवसर ऐसे
आते हैं जो मनुष्य को संघर्ष के लिए उद्यत करते हैं। ऐसे अवसर अक्सर अचानक ही आते हैं, अधिकतर स्थितियों में व्यक्ति ने कोई योजना भी नहीं बनाई होती। उसे अपनी त्वरित विचार-शक्ति का उपयोग कर संघर्ष पर विजय पाने का सार्थक प्रयास करना होता है। कुछ लोग ऐसी स्थिति से घबरा जाते हैं और धैर्य खोने लगते हैं जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मनचाहा फल प्राप्त नहीं होता और वे अपनी नाकामयाबी के लिए स्थितियों को दोषी करार दे देते हैं जो अनुचित है।किंतु इसके विपरीत कुछ लोग संघर्ष को चुनौती समझकर स्वीकार करते हैं और धैर्य व स्थिरता से समस्या का निराकरण करने के उपायों पर वैचारिक-मंथन करने लगते हैं और आवश्यकतानुसार कार्य करते हैं। ऐसे लोग ही जीवन में उन्नति करते हैं तथा जीवन को नई दिशा देते हैं।
दरअसल संघर्ष के क्षण ही सफलता की नींव होते हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे
रहस्य का भेदन करने से ही सत्य प्रकट होता है।अतः हमें चाहिए कि हम
संघर्ष के पलों में न तो घबराएँ, न ही किसी अन्य पर दोषारोपण करें बल्कि
अपने चरित्र में दृढ़ता व धैर्य का परिचय देते हुए व अपनी विवेक-शक्ति का सदुपयोग करते हुए चुनौती का सामना करें । तब हमें सफलता अवश्य ही मिलेगी।अतः जब भी संघर्ष की स्थिति आए तो उदास या दुखी न हो, हमेशा ये सोचें कि आपकी उन्नति का नय़ा द्वार खुलने की प्रतीक्षा में है।

एक नई आशा के साथ फ़िर मिलेंगे..........


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