Friday, 22 April 2016

मेरी प्रशंसा क्यों नहीं होती ?

अक्सर देखा गया है कि लोग किसी की कद-काठी, नैन-नक्श की प्रशंसा तो खूब करते हैं किंतु किसी सज्जन के परोपकार की बात या तो करते ही नहीं या बहुत कम करते हैं। ऐसा क्यों होता है ? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि...
1-    हमारी सोच ही तुच्छ है जो हमें दूसरे की अच्छाई दिखाई ही नहीं देती।
2-    इसका यह भी कारण हो सकता है कि हमारे अंदर घमंड की भावना है और हमारी यह भावना हमें दूसरों से ऊपर ही देखने का दंभ भरना चाहती है।
3-    हमारे हृदय इतना विशाल नहीं कि जिसमें हम दूसरों को आगे बढ़ता हुआ देख सकें।
4-    हम आम लोगों में से ही एक हैं और ऐसे ही रहना चाहते हैं।
5-    हमारे अंदर ईर्ष्या व द्वेष की भावना है जो हमें दूसरों के सुकृत्यों की प्रशंसा करने से रोकती है।
6-    हमारे मन के भीतर चोर के समान छिपा बैठा भय भी हमें कमज़ोर बनाता है। यह भय हमें अंदर ही अंदर भयभीत कर देता है।
7-     हम यह सोचकर प्रशंसा नहीं करते कि कहीं हमारे प्रशंसा करने से अमुक व्यक्ति और अधिक प्रेरित होकर और अच्छा कार्य न कर ले और भी अधिक प्रशंसा का पात्र न बन जाए और ऐसा होते हुए हम संकार्णता, भय, ईर्ष्या व दंभ आदि से फूले हुए कैसे देख सकते हैं। हमें तो खुद को ही वरीयता देते हुए सर्वश्रेष्ठ साबित करना है।

क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसी सोच हमें कहाँ ले जाकर छोड़ेगी? क्या ऐसी तुच्छ सोच से हमारे व्यक्तित्व का विकास होगा?  क्या हम अपने सुकर्मों द्वारा समाज को दिशा दे सकेंगे?  क्या हम किसी की प्रशंसा का पात्र बनने की क्षमता जुटा पाएँगे ?क्या हम दर्पण के समक्ष अपने प्रतिबिंब के प्रश्नों के सही-सही उत्तर दे सकेंगे। नहीं, कदापि नहीं, ऐसा कभी नहीं हो पाएगा क्योंकि जब हमने किसी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की ही नहीं तो हमें मिलेगी भी कहाँ से।

    इस संबंध में सरल-सा नियम है कि एक हाथ दे तो दूसरे हाथ ले।
    यह साधारण-सा नियम हममें से ज़्यादातर लोग आजीवन समझ
    ही नहीं पाते और अपना जीवन व्यर्थ ही गवाँ देते हैं।क्या आप वास्तव     में अपना जीवन बेहतर बनाना चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि लोग     आपकी प्रशंसा करते हुए फूले न समाएँक्या आप निश्चित रूप से यह     चाहते हैं कि लोग आपकी तारीफों के पुल बाँधें?

    यह संभव है, कैसे?
    आपके सवालों के जवाब लेकर जल्दी ही आपकी खिदमत में हाज़िर
    होऊँगी अपने अगले ब्लॉग में ......


एक नई आशा के साथ फ़िर मिलेंगे..........

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